उत्तर प्रदेश का सब से पिछड़ा इलाका बुंदेलखंड शादीब्याह के नाम पर औरतों की खरीदफरो त के लिए अरसे से बदनाम रहा है. इस बदनामी की अपनी सामाजिक वजहें हंै. दरअसल, यहां के बांदा और चित्रकूट जिलों के पपरैंदा, गौंड गांव, भरतकूप और बदौसा जैसे इलाके कभी सूखा, कभी बाढ़,तो कभी महामारी जैसी समस्याओं से दोचार होते रहते हैं.
इसी वजह से इस इलाके के ज्यादातर मर्द खासकर नौजवान काम की तलाश में दूसरे राज्यों में चले जाते हैं और बच जाते हैं घरों में बुजुर्ग व औरतें. रोजीरोटी के जुगाड़ मेंं कई बार घर वाले ही अपनी बेटियों का सौदा कर डालते हैं.
चाहे बांदा जिले के गौंड गांव से बाहर बसी कोल भील बस्ती हो, चित्रकूट जाने वाली सडक़ के आगे बदौसा हो या फिर भरतकूप, हर जगह एक से हालात हैं. गौड़ व भैरों बाबा के पहाड़ों से जुड़ी पत्थर मिलों में ज्यादातर औरतें पत्थर तोडक़र दो जून की रोटी का इंतजाम करती हैं लेकिन जब यह इंतजाम भी हाथ से जाता है, तो उन को पंजाब, हरियाणा और यमुना पार के बुंदेलखंडी इलाकों से आए लोगों को बतौर दुलहन बेच दिया जाता है. कई दफा ये औरतें वाकई दुलहन बनकर किसी के घर को संभालती हैं लेकिन कई बार इन्हें दलाल के जरिए बारबार बेचने का सिलसिला चलता है.
८० के दशक की बात है. उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में टेढ़ा नाम का एक गांव है. वहां के 50 साला सीताराम की बीवी गुजर गई थी. चूंकि पहली बीवी से बेटा नहीं था लिहाजा परिवार ने उनके लिए दूसरी बीवी का इंतजाम करने की सोची. चूंकि सीताराम की उम्र ज्यादा थी इसलिए मुलही (इन इलाकों में खरीदकर लाई गईं औरतों के लिए क्षेत्रीय भाषा में मुलही शब्द जिसका मतलब होता है मोल की यानी खरीदी हुई) लाने की बात हुई. घर के कुछ बड़े बांदा गए और महज 5000 रुपए में मुलही आ गयी. आज वह मुलही 4 बच्चों की मां है और सीताराम की मौत के बाद घरपरिवार की जिम्मेदारी बखूबी संभाल रही है. हालांकि आज भी घरसमाज के छोटेमोटे झगड़ों या कहासुनी के दौरान उसे मुलही होने का ताना मिल जाता है. फिर भी वह अपने घर में खुश है. लेकिन हर मुलही को यह खुशी नहीं मिलती. आज भी इन इलाकों से बीवी के नाम पर खरीद कर लाई गईं औरतों और लडकियां कहीं सरोगेट मदर के गैरकानूनी कारोबार में इस्तेमाल हो रही हैं, तो कहीं सिर्फ खरीद फरोख्त के जरिए मुनाफा कमाने की चीज बन कर रह गई हैं. इनकी असली पहचान और कीमत दोनों ही धुंधली हो चुकी है.
बहुत शर्मनाक है यह खबर भारत के लिए। ऐसा तो मुस्लिम देशों में होता है। तालिबान जैसे हालात यहाँ पैदा न हो जाएँ।
जय हिंद